आज आपको साहित्य के दिग्गज और सम्पद्किये पेज पर अक्सर अपने का दर्ज करने वाले कवी से रूबरू करा रहा हूँ। उनकी ये वो रचना है जो उन्होंने अपने शुरूआती दिनों में लिखी। पेशे नज़र है-
मैं लड़ा बहुत इस दुनिया से
सह गया बहुत कडवे ठोकर
तुम साथ रहे , मैं जीत गया
पर हार गया तुमको खोकर।
- सुनील अमर
मैं लड़ा बहुत इस दुनिया से
सह गया बहुत कडवे ठोकर
तुम साथ रहे , मैं जीत गया
पर हार गया तुमको खोकर।
- सुनील अमर