Monday, March 29, 2010

हार गया तुमको खोकर

आज आपको साहित्य के दिग्गज और सम्पद्किये पेज पर अक्सर अपने का दर्ज करने वाले कवी से रूबरू करा रहा हूँ। उनकी ये वो रचना है जो उन्होंने अपने शुरूआती दिनों में लिखी। पेशे नज़र है-

मैं लड़ा बहुत इस दुनिया से
सह गया बहुत कडवे ठोकर
तुम साथ रहे , मैं जीत गया
पर हार गया तुमको खोकर।

- सुनील अमर